Aparna Sharma

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लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -5

#15 पार्ट सीरीज चैलेंज 


*महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता* 
पार्ट - 5 
*सती और शिव*

जब सती ने पहली बार महादेव शिव को देखा तो पहली ही नज़र में दिल हार बैठी! ये तो होना ही था विधाता शिव का लिखा हुआ था क्योंकि देह मरती है आत्मा नहीं ! आत्मा तो आदिशक्ति सतरूपा की थी और आदिशक्ति तो सृष्टि के प्रारंभ में ही महादेव पर अपना दिल हार चुकी थी। 

बस यहां से प्रारंभ हुई सती के प्रेम की परिक्षाएं 
एक तरफ उससे अथाह प्रेम करने वाले पिता उसे अपनी ओर खींच रहे थे तो दूसरी ओर उसका अपना दिल जो बगावत कर रहा था!  
हालांकि सती चाहती थी महादेव की ओर से मन हटाकर पिता की बात माने !
शिवलिंग मंदिर में स्थापित करने की सजा के तौर पर सती को बहुत कठोर सजा दी दक्ष ने!  
७ दिनों तक भोजन बंद 
एक लाख कमल पुष्पों पर विष्णु का नाम लिखना 
और उन कमल पुष्पों को बिना किसी की सहायता के स्वयं ही एकत्रित करना ! 
सती पिता से बेहद प्यार करती थी ,बेहद सम्मान के साथ उसने दंड स्वीकार किया! वो पूरा पूरा दिन जंगल में घूमघूम कर भूखी प्यासी तालाबों से कमल एकत्रित करती ! महलों में कालीन पर चलने के आदी पैर जंगल के कांटों से लहुलुहान हो जाते ! रात्रि में आधी रात तक थकान से चूर कमल गिनती, पैरों से बहता लहू पीड़ा से कराहती , मां बहनें देख देख आंसू बहातीं ,दवा लगा घावों पर पट्टी बांधती ! मां बेटी के लिए पति से कभी विनती करती कभी लड़ती,सजा कम करने को कहती पर दक्ष का दिल नहीं पसीजता ! 
चौथे दिन तेज बारिश में सारा दिन घूमने भीगने से कमल बहुत भारी हो गये ,जंगल से इतना भार उठा कर भीगते हुए आने से सती महल तक आते आते तेज बुखार से बेहोश हो जाती है! 
भूखी,तन से घायल , पीड़ा से बेसुध सती फिर भी मन से इतनी मजबूत होती है कि पांचवे दिन फिर बारिश में थैला लेकर कमल लाने चल देती है! छटे दिन रात्रि तक पूरे एक लाख कमल इकट्ठा हो जाते हैं! सातवें दिन पूरा दिन और पूरी रात बिना कुछ खाए वो लगातार कमल पुष्पों पर विष्णु नाम लिखती है ! आखरी पुष्प पर नाम लिखते ही प्रजापति दक्ष कमरे में प्रवेश करते हैं और कहते हैं परीक्षा की अवधी समाप्त हो गई आशा है तुमने दंड पूरा कर लिया होगा? ? 
सती खुश होकर कहती है हां पिताजी , मैंने एक लाख कमल पुष्पों पर विष्णु नाम लिख लिया है! 
दक्ष एक कमल उठाते हैं उसपर *शिव* लिखा हुआ होता है। वो सारे कमल देख आए  है पूरे एक लाख कमल पुष्पों पर *शिव* लिखा हुआ होता है। 
दक्ष की सजाएं ,यातनाएं बढ़ती जाती हैं और सती अनजाने में ही शिव के करीब आती जाती है ! वह स्वप्न में अर्धनारीश्वर रूप में स्वयं को शिव के साथ देखती है , कैलाश पर्वत को खिड़की से एकटक देखती रहती है! एक अद्भुत खिंचाव महसूस करती है। कई बार चल पड़ती है उस ओर ! 
जब भी कोई असुर (राक्षस) उस पर हमला करता है न जाने कहां से महादेव आकर उसकी रक्षा करते हैं आंधी की तरह आते हैं और तूफान की तरह चले जाते हैं! सती पागलों की तरह खड़ी रह जाती है उन्हें निहारती !

एक बार बेहद मधुर संगीत सुन खींची चली जाती है! वन में पेड़ के नीचे महादेव आंखें बंद किए वीणा बजा रहे होते हैं वो मदहोश हो कर नृत्य करने लगती है, संगीत थमने पर जब आंखें खोलती है तो महादेव को अपनी तरफ देखते पाती है यहां पहली बार दोनों की आंखें मिलती हैं! प्रेमातिरेक में सती की आंखों से अश्रु धार बह निकलती है! 
वह बेचैन हो महादेव से पूछती है -" आप कौन हैं, आपके देखकर मैं पागल क्यों हो जाती हूँ, मेरा दिल मेरे बस में नहीं रहता , मैं चाहकर भी आपको भूल क्यों नहीं पाती ?" 
महादेव मुस्कुरा कर कहते हैं -"आप जितनी जल्दी मुझे भूल जाएं अच्छा है। आप महलों की रानी मैं जंगल का वासी ,आपका और मेरा कोई मेल नहीं!"
पर दो आत्माएं प्यार की ऐसी डोर में बंधी थीं कि सती शिव को जितना भुलाने की कोशिश करती उतनी ज्यादा तड़पने लगती ! वह पूरी तरह दीवानी हो गई थी ! कभी महादेव पर चल्लाती उन्हें दूर जाने को कहती तो कभी रो रोकर पुकारती , महादेव आते तो दौड़कर लिपट जाती ! 
लेकिन महादेव वैसे ही शांत रहते और सती को बार बार मना करते कि तुम मेरे साथ सुखी नहीं रह पाओगी, मैं तुम्हें एशो आराम नहीं दे सकता! 
सती कहती मैं सब कुछ छोड़ दूंगी मुझसे विवाह कर लो ! *नहीं* कह कर महादेव अंतर्ध्यान हो जाते ! 

*ज्ञान*:- इंसान कितनी भी कोशिश कर ले जो भाग्य में लिखा है वही होता है। दिलों के रिश्ते जब आत्मा से जुड़े होते हैं तो उसे तोड़ना असम्भव होता है। 

*प्रामाणिकता*;- हरिद्वार में कनखल में सती कुंड है कहते हैं जब यहां दक्ष का महल था तो सती यहां कुंड में सखियों के साथ स्नान करने और कमल तोड़ने आती थी!  
इस कुंड से थोड़ी ही दूर पर दक्ष कुंड है! 

अपर्णा गौरी शर्मा

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1 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Jun-2023 05:56 AM

Nice 👍🏼

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